वामनीयं लिङ्गानुशासनम्

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वामनदेव – स्वोपज्ञव्याख्या सहित। इसमें केवल संस्कृत भाषा के शब्दों का लिङ्ग बताया गया है। व्याख्या पाणिनीय व्याकरणानुसार है।