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निरुक्त- समुच्चय

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(संस्कृत) – आचार्य वररुचि विरचित। इसमें चार कल्पों में १०० मन्त्रों की नैरुक्तप्रक्रियानुसार व्याख्या की गई है। सम्पादक – पं० युधिष्ठिर मीमांसक। अप्राप्य

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