दर्शपूर्णमास-पध्दति

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पं० भीमसेन कृत भाषार्थ सहित। दर्शपौर्णमास समस्त श्रौतयज्ञों की प्रकृति रुप है। इसके परिज्ञान से अन्य यज्ञों कीप्रक्रिया जानने में सहायता मिलती है।